सात साल हो गए हैं निर्भया गैंग रेप केस को… फिर भी अक्ल ठिकाने नहीं आई तुम्हारी..? और उसके बाद रोज़ा, आसिफ़ा… जाने कितने गैंग रेप… और अब प्रियंका रेड्डी, जानवरों की डॉक्टर, जो इंसान रूपी जानवरों की हवस की शिकार हो गई… अब भी अक्ल ठिकाने नहीं आई तुम्हारी..? किसने दिया तुम्हें ये हक़ कि तुम शाम ढलने के बाद घर की दहलीज़ से बाहर क़दम रखो… जबकि तुम में से कितनी ही दहलीज़ के अंदर भी महफूज़ नहीं… बलात्कारियों को न तुम्हारी उम्र से कोई मतलब है, न तुम्हारे भविष्य से और न ही तुम्हारी भावनाओं से… तुम्हारी उम्र चाहे छह महीने हो या साठ साल, उनके लिए तुम सिर्फ़ हवस मिटाने का साधन मात्र हो…
कुछ नहीं बदलने वाला तुम्हारे लिए… न लोगों की सोच, न नज़रिया और न ही क़ानून… क्योंकि इस देश में बलात्कारी पहले तो पकड़े ही नहीं जाते… और दबाव में आकर पकड़े भी गए तो तारीख़ पे तारीख़ के तमाशे के बाद सबूतों के अभाव में बड़ी आसानी से बरी हो जाते हैं…
इसलिए अब तुम्हें ख़ुद को बदलना होगा… इस कलयुग में तुम्हारे चीर हरण के वक़्त कोई कृष्ण नहीं आएगा तुम्हें बचाने… तुम्हें अपनी रक्षा ख़ुद करनी होगी… इसलिए सबला बनो और करो ख़ुद को तैयार अपनी रक्षा के लिए…
और सुनो देशवासियों, देश की बेटियों की दरिंदों के हाथों बलात्कार और फिर निर्मम हत्या के बाद सड़कों पर पैदल मार्च या कैंडल मार्च करने से कुछ नहीं होगा… इससे बलात्कारियों की मोटी खाल पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला… कर सको तो इतना करना कि अपने बेटों को औरत पर शक्ति परीक्षण करने वाला मर्द नहीं, एक ऐसा इंसान बनाना जो औरत को शरीर नहीं अपने जैसा इंसान समझे… क्योंकि बलात्कारियों की परवरिश जंगल में नहीं, आम घरों में ही होती है…
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