कल शाम मुंबई में गीत-ग़ज़ल और कहानियाँ सुनाने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दो ऐसे फनकार आए, जिन्होंने देस ही नहीं परदेस में भी हिंदी उर्दू के रंग बिखेरे हैं. कल शाम ब्रिटेन से अपने देस आए कथाकार Tejendra Sharma जी ने कहानियों के अपने सफ़र पर विस्तार से बात की, और प्रवासी भारतीयों के लेखन में अलग-अलग पड़ावों पर नज़र आने वाले कल्चरल कॉन्फ्लिक्ट के बारे में भी बताया.
वहीं दिल्ली से मुंबई आए मशहूर ग़ज़लकार-गीतकार और पत्रकार Aalok Shrivastav जी ने अपनी ग़ज़लों से ऐसा समा बाँधा कि मुंबई की गुलाबी शाम भी गुनगुनाने लगी, ग़ज़लनुमा हो गई. आलोक जी की लोकप्रियता का आलम ये था कि उनके पढ़ने से पहले ही उनके चाहने वाले उनकी ग़ज़ल का अगला मिसरा पढ़ देते थे.
विश्व हिंदी अकादमी और Keshav Rai जी का यह प्रयास कल माया नगरी मुंबई में हिंदी और उर्दू की जो ख़ुशबू बिखेर गया, वो कई दिनों तक ताज़ा रहने वाली है. ऐसी ख़ुशनुमा शाम मुंबई को बार-बार नसीब हो.